Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -04-May-2022 - चंचल

चंचल मन आज अजूबा लगा हमें ,
न जाने क्यों आज ये क्या हुआ हमें।
रसगुल्लें से लड़ाई करने का था मन, 
छैना मुर्गी आई बीच में हमदम ।
मिठाई जो इतने दिनों से बंद थी हमारी,
आज आ गई सामने एक साथ सारी ।
शादी है तो भाई मिष्ठान है जरूरी,
पर न खा पाना हमारी हैं मजबूरी।
जा पहुंचे हम दही भल्ले के काउंटर पर,
मीठी चटनी का बसा हुआ था पहले से घर।
जाए तो आखिर जाए कहां बताओ जरा,
मिष्ठान को हमसे दूर भगाओ जरा ।
अजूबा सबको हम लग रहे वहां पर ,
मिष्ठान से जो बचा रहे थे नज़र।
स्नैक्स, कोल्डड्रिंक सब तन पर भारी,
लग जाती प्यारे इनसे अजब बीमारी।।

प्र

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10 Comments

Shnaya

06-May-2022 01:11 PM

👌👏🙏🏻

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Punam verma

05-May-2022 01:29 PM

Nice

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Shrishti pandey

05-May-2022 11:38 AM

Nice

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